'विकास'क नामपर गामक 'नवगछुली'केँ
बाजारवादक 'अमरलत्ती' जखन गछारने जा
रहल अछि, गामक हरियरी कंक्रीटक तरमे पिचाय अकाले काल-कवलित
भऽ रहल अछि, तखन ओतुका जिनगी' किछु
हरियरीक लोभमे शहर दिसमलकैत अछि, ओतुका गली-कूचीमे गड़कैत
अछि। मुदा गामक प्रति ओकर ममता, ओकर सिनेह ओकरा बेर-बेर घूरि
तकबाक लेल विवश करैत छैक । शहरक प्रपंचकेँ गामक सोझमतिया सोहान्त कहाँ पड़ैत छैक,
ओ तँ चट दऽ 'अँउठी पहिराय कऽ औंठा लऽ लैत अछि',
गाम, शहरक जिरात भऽ जाइत अछि।
#_ग्लोबल_गामसँ_अबैत_हकार'_पढ़ैत
Posted on FB 10.06.2017
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