ब्रजबुलि साहित्यक भक्तिमय
प्रेम ओ प्रेममय भक्तिक रसधारामे मात्र भाषायी आ क्षेत्रीय सीमा टा नहि भासल, अपितु धार्मिक-साम्प्रदायिक सीमा सेहो भासि गेल आ समस्त पूर्वांचलक सैकड़ो
वैष्णव कविगणक सङ्ग सैकड़ो मुसलमान कविगण सेहो कृष्णक अनन्त लीला ओ राधा-कृष्णक
अनन्य प्रेमक बखानमे लागि गेलाह। कृष्ण-भक्ति ओ राधा-कृष्णक अनन्य प्रेमक
रस-सागरमे चुभकय लगलाह।
यतीन्द्र मोहन भट्टाचार्य
द्वारा संकलित-सम्पादित पोथी "बांग्लार वैष्णव भावापन्न मुसलमान कविर पदमञ्जूषा"
नामक पोथीमे कुल 162 मुसलमान कविक 943 गोट एहन रचना एकठाम उपलब्ध अछि। पद ओ पदकर्ताक एतेक संख्या निश्चित रूपेण
आश्चर्यजनक अछि। जें कि सम्पूर्ण ब्रजबुलि साहित्येक विकास विद्यापतिक पदक प्रेरणा
ओ मैथिली भाषाक छत्र-छायामे भेल तेँ आश्चर्य नहि जे एहि पदकर्ता लोकनिक रचना सभमे
सेहो मैथिली भाषा ओ विद्यापतिक पदक प्रभाव स्पष्टतः झलकैत अछि।
एतय विशेष उल्लेखनीय अछि
जे"बांग्लार वैष्णव भावापन्न मुसलमान कविर पदमञ्जूषा" तथा किछु अन्यान्य
वैष्णव पदावलीक अवलोकनक क्रममे एखन धरि हमरा कमसँ तीन गोट मुसलमान पदकर्ता एहनो
भेटलाह जनिकर एक-एक टा पद सम्पूर्णतः मैथिली पद थिक आ ताहि हिसाबे मैथिली साहित्य
लेल एक महत्वपूर्ण निधि सेहो थिक। ई तीनू पदकर्ता थिकाह- आफजल (अफजल), मनोअर (मुनव्वर?) तथा मर्तुजा
गाजी। एहि तीनू कविक परिचय अज्ञात अछि।
आफजलक कुल चारि टा पद
विभिन्न संग्रहमे उपलब्ध अछि जाहिमे एक ठाम "सैयद फिरोज" नामक व्यक्तिक
उल्लेख भेल अछि। तहिना मनोअर भनिता युक्त एक टा पदमे "आइनुद्दीन"क
उल्लेख भेल अछि। यतीन्द्र मोहन भट्टाचार्यक अनुसार ई "आइनुद्दीन' मनोअरक गुरु छलाह। एक टा आर कवि "आशुद्दीन"क गुरु सेहो
"आइनुद्दीन" छलाह। एवं प्रकारे प्रतीत होइत अछि जे मनोअर आ आशुद्दीन
समकालिक छलाह। मनोअरक कुल सात टा पद उपलब्ध अछि जाहिमे तीन टा पदमे
"मनूवर" भनिता अछि। तेसर पदकर्ता मर्तुजा
गाजीक दू गोट पद उपलब्ध अछि।
ऊपर हम जाहि तीन टा पदक
मैथिली पद होयबाक चर्च कयल अछि से अपने लोकनिक अवलोकनार्थ निम्नलिखित अछि-
1.
आय माधव निवेदहोँ तोहे।
तुमि सदाशय दीन दयामय
तोहे बिन गति नाहि मोहे।
हम आलस गुरू, तुञि
कलपतरू
तछु परे साञि सुख वास
आदि अन्त मोहे कर फलोदय
मुझे न कर नैराश।।
हम अपराधी परादि विरोधि
पाप गुण सब हीना।
साञि परिहरि माया मोहे जड़ि
मुञि भुलल रात्र-दिना।।
खाक पाक करि तोहे जीव धरि
तम-रज-सत साञि पूरा।
सोहि दयामय आफजल भावय
मुझे गौरव कर थोड़ा।।
- आफजल
2.
आजु लो पहु देखिय आनन्दचित।
कमल नयन अमल वयन जेहेन चान्दरित।।
ए घोर मन्दिर उज्ज्वल करिल अनन्त आनन्द भेल।
पिया दरशने जत दुख मने धन्द होइ चलि गेल।।
बहुदिन निधि आनि दिल (देल) विधि आनन्दक उपाय।
चित्त पुलकित तनु उल्लासित हेरि पहु गुनधाम।।
साहा आयुद्दीन छौं पहु प्रवीण देखि आनन्द
परान।
हीन मनोअर माँगि जोड़ि कर मोके देअ दया दान।।
-
मनोअर
3.
कि आजु कुदिन भेलिय।
छाड़िय गोकुल नन्दलाल मथुरा चलिय गेलिय।
आजु मथुरा उज्ज्वल भेलिय गोकुल मलिन आजु
रातिय।
मर्तुजा गाजीय कहय सारय नन्दसुत बाट जाय कानू
निश्चय।
-
मर्तुजा गाजी
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