Tuesday, January 13, 2015

मैथिली गजल-गायिकी'क संभावना

गजल आब मैथिली साहित्यक एकटा स्थापित विधा थिक । एकर एकसय बरखक इतिहास छैक । हँ एखन धरि जे मैथिली गजल लिखल गेल अछि ताहिमे जँ स्वस्थ्य-सुपक रचना अछि तँ किछु कनाह-कोतर सेहो भ' सकैए, आ से तकरा अस्वाभविको नहि कहल जा सकैछ । कोनो फसिलमे एको दाना मरहन्ना नहि होइ से की संभव छैक ? लेखनक दृष्टिएँ स्थापित विधा भेलाक अछैतो जँ मैथिली गजल एखनो नव आ आयातित केर तगमेसँ पहिचानल जाइत अछि हमरा सभक बीच तँ तकर एकटा महत्वपूर्ण कारण इएह छैक जे मैथिली गजल-गायिकी पर विमर्श नहि भेल अछि एखन धरि । गजल गायनसँ हमर सभक संगीतज्ञ उदासीन रहलाह अछि । जहाँधरि मैथिली गजलक (कैसेटक) सफलता कि असफलताक प्रश्न छैक तँ तकर प्रश्न तँ तखन उठाएल जेबाक चाही जखन एहि क्षेत्रमे किछु प्रयोग हेतैक । जहाँधरि संभावना'क प्रश्न छैक तँ हमरा नहि लगैए जे दसो प्रतिशत एहन मैथिल हेताह जिनका घरमे, मेहदी हसन, गुलाम अली, हरिहरन, अनूप जलोटा, आदिक कैसेट नहि बजैत हेतनि कि इ सभ गजल गायक अलोकप्रिय हेताह । तखन फेर जँ श्रोताकेँ मैथिली गजलमे वएह भाव, वएह रस आ वएह लय-स्वर भेटतनि तँ कोना ओकरा अबडेरि सकताह ? 
अपना संगीतक कोनो ज्ञान नहि हेबाक बादहुँ हमरा ई कहबामे कनियो असोकर्य नहि भ' रहल अछि जे आजुक अधिकांश मैथिली गायककेँ संगीतक ज्ञानक घोर अभाव छनि आ मात्र टाका ओ टेक्नॉलोजीक बलेँ "थर्ड-क्लास" कैसेट रेकर्ड करबाक व्यसन लागल छनि । संगीतक असल मर्मधरि पहुचबामे डर होइत छनि । फुहरता'क बलेँ "स्टारडम" चाहैत छथि । आ तकरे परिणाम थिक जे संघर्ष करैत-करैत सोझे "ड्रग्स एडिक्ट" भ' जाइत छथि आ अपन जीवनकेँ सेहो नर्कमे धकेलि दैत छथि । हमरा नजरिमे एखन बहुत कम्मे मैथिली गायक (जिनका सभकेँ हम सुनने छी ताहिमेसँ) छथि जनिकामे गजल गेबाक क्षमता छनि आ ताहिमे - हरिनाथ झा, रजनी पल्लवी, साहित्य आ संगीत मल्लिक आदि प्रमुख छथि ।

Posted on FB 13th Jan.2015

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