नेपालमे मैथिलक उपेक्षाकेँ मात्र नेपालक आंतरिक समस्याक रूपमे
नहि देखबाक चाही । भारतीय मिथिला क्षेत्रक ई सेहो एकटा पैघ समस्या अछि । आखिर हमरा
सभक बेटी-रोटीक जे संबंध अछि, भनहि हम
सभ दू-देशमे विभाजित भऽ गेल छी । जाहि निर्ममतासँ निर्दोष युवक, नेना आ स्त्रिगण सभक हत्या भऽ रहल अछि तकर प्रतिवाद भारतहुमे होयब आवश्यक
अछि । तखने हमरा सभक परस्पर संबंध कायम रहत । मात्र भोज खयबा लेल नेपाल जायब आ
विपत्तिमे अंतरराष्ट्रीय सीमाक बहन्ना कऽ बातकेँ टारब सर्वथा निन्दनीय अछि ।
नेपाली सरकार कोना ओतुका मैथिल समाजक अधिकार संविधानमे
सुनिश्चित करत ताहि लेल भारतीय मिथिला क्षेत्रमे सेहो लोककेँ संवेदनशील होमय पड़त
। ई मात्र क्षेत्रीय नहि राष्ट्रीय (भारतीय) गौरव ओ अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक
संदर्भमे सेहो भारतीय दृष्टिकोणसँ महत्तवपूर्ण विषय अछि । भारत सरकारक विदेश
मंत्रालय एहि विषयमे एखन धरि विशेष प्रभावशाली नहि साबित भेल अछि । ओकर प्रभाव
तखनहि नेपाल सरकारपर पड़तैक जखन भारतीय मिथिला एहि मुद्दापर दलमलित होयत ।
कहय लेल हमरा सभक कयकटा ने "अंतरराष्ट्रीय" संस्था
अछि मुदा, से मात्र चन्दाक धन्धा लेल,
सेहो साबित भइए गेल । तेँ आब हिनको लोकनिक भरोसे बैसब उचित नहि । ई
सभ कृतघ्न ओ कोढ़ि छथि ।
नेपाली साहित्यकार-पत्रकार मित्र लोकनिसँ आग्रह जे
वस्तुस्थितिसँ विस्तारमे अवगत करबैत रहथि । ध्यान रहय साहित्यकार अनिवार्यतः
पत्रकार होइत अछि तेँ सभ कियो अपन धर्मक निर्वाह करी । विपत्तिक सामना एकजुट भए
करी ।
No comments:
Post a Comment