"वर्णरत्नाकर"क चारिम कल्लोलमे चौंसठि कला'क उल्लेख अछि । एहिमे चौंसठि कलामे एक गोट कला अछि-"जलाघात" । विद्वान लोकनि एकर अर्थ-"पानि पीटब" कहैत छथि आ शंका व्यक्त करैत छथि जे ई कोन कला थिक ! ठिक्के पानि पीटयमे कोन कलाकारी चाही ? ओनहियो, अपना सभ ओतय कहबी सेहो छैक-पानि डेंगायब मने व्यर्थक काज ।मुदा, एहि पोथीमे कि तत्सम्बन्धी कोनो व्याख्यामे हमरा 'हेलब' शब्दक चर्च कतहु नजरिपर नहि पड़ल । की ई 'जलाघात' हेलब नहि भ' सकैत अछि ??
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